Book

वैदिक शाश्वत चिकित्सा का अद्भुत विज्ञान

पुस्तक परिचय

वैदिक चिकित्सा विज्ञान के ऊपर हमारे वेदों में और खासकर अथर्ववेद में औषधि निर्माण काल के  पूर्व कई प्रकार के चिकित्सा प्रणालियों के ऊपर  हजारों- हजार साल पूर्व काफी शोध हुए हैं , जिसके ऊपर, हमारे अखिल भारतवर्षीय धर्म संघ /करपात्री फाउंडेशन में गुरुजनों और संत जनों के माध्यम से कई प्रकार की चिकित्सा विधाओं जैसे जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा ,अग्नि चिकित्सा, मर्म चिकित्सा और हस्त चिकित्सा जो अब शाश्वत चिकित्सा के रूप में आश्रमों में प्रचलित है  के ऊपर काफी शोध हुए हैं और विभिन्न प्रकार के साध्य और असाध्य रोगों की चिकित्सा में अत्यंत सहायक सिद्ध हुआ है।
पिछले 30 वर्षों से वैदिक चिकित्सा पद्धतियों की गुप्ततम पद्धति  शाश्वत चिकित्सा (हस्त चिकित्सा )पर निरंतर शोध से इस पद्धति के चिकित्सा विषयक पक्ष का प्रस्तुतीकरण संभव हुआ है।
चिकित्सा जगत में अल्प ज्ञात, वैदिक आश्रम जीवी इस पारंपरिक विज्ञान को वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करना एक चुनौती भरा कार्य है। लाखों वर्षों से अस्तित्व में रहा यह अद्भुत विज्ञान प्रयोग में नहीं लाए जाने के कारण उपेक्षित एवं रहस्यमय रहा और सिर्फ आश्रमों में संतों के बीच जीवित रहा और आश्रमों में संतों के बीच जीवित रहा

वर्षों के निरंतर अध्ययन ,चिंतन ,शैक्षणिक एवं प्रायोगिक शोध ने इस वैदिक शाश्वत चिकित्सा की उपादेयता  को सिद्ध कर  इसे पुनः प्रतिस्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
अनेक असाध्य  अस्थि जनित बीमारियों में चिकित्सा विहीन  पद्धति के रूप में  शाश्वत चिकित्सा  शीघ्रता से अपना स्थान बनाती जा रही है।
यह पुस्तक विभिन्न पाठक वर्ग के लिए लिखी गई है, जिसमें आधुनिक चिकित्सा के उपाधि धारक चिकित्सक परा चिकित्सकीय स्वास्थ्य परामर्शदाता और अन्य पद्धतियों से उपचार करने वाले व्यक्ति सम्मिलित हैं। इसके अलावे चिकित्सा श

पुस्तक की मुख्य विशेषताएं:

  1. पंच तत्व और त्रिदोष सिद्धांत: शरीर और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए पंच तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) की भूमिका को विस्तार से समझाया गया है।
  2. शाश्वत चिकित्सा तकनीकें: अग्नि जनित बीमारियों के उपचार के लिए शाश्वत चिकित्सा की अद्भुत विधियों का वर्णन किया गया है।
  3. व्याधियों का समाधान: जोड़ो का दर्द, सर्वाइकल, आर्थराइटिस, साइटिका, माइग्रेन, एड़ी का दर्द, गैस, एसिडिटी, और लिवर की समस्याओं का उपचार।
  4. मानसिक और आत्मिक संतुलन: मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शाश्वत चिकित्सा की विधियों का उपयोग।
  5. ऋषि अंगिरा के योगदान: ऋषि अंगिरा द्वारा दी गई चिकित्सा विधियों का विस्तार से वर्णन।

यह पुस्तक किसके लिए है?

  • आयुर्वेद और वैदिक चिकित्सा में रुचि रखने वाले लोग।
  • शाश्वत चिकित्सा के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को सुधारना चाहते हैं।
  • अग्नि जनित बीमारियों से पीड़ित लोग जो वैकल्पिक चिकित्सा की तलाश में हैं।
  • प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों और उनकी प्रभावशीलता को समझना चाहते हैं।

This Post Has One Comment

  1. Mukesh tyagi

    मुझे ये सीखना है

Leave a Reply